कल यह अत्यंत भावुक क्षण था जब में नागौर शहर के साथ एक मित्र ,भाई की तरह व्यवहार रखने वाले नागौर शहर के प्रथम नागरिक कृपाराम जी सोलंकी को अंतिम विदाई दी ! जीवन और मृत्यु का चक्र तो जीवन मे तय है परंतु इस प्रकार बिना उम्र के यू किसी अपने का चले जाना अत्यंत कष्टदाई और दुःखद होता है,मेरे दुःख को शब्दों में बयाँ नही कर सकता परन्तु ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि है परमात्मा शेर दिल सभापति जी की आत्मा को अपने श्री चरणों मे जगह प्रदान करे !राम


